
की बड़यायियाँ तेरियाँ मेरे सतगुरु जी ओ
की बड़यायियाँ तेरियाँ मेरे सतगुरु जी ओ पीरा दा महा पीर तू है फ़क्कर अव्वल फ़क़ीर तू है हासा वी

की बड़यायियाँ तेरियाँ मेरे सतगुरु जी ओ पीरा दा महा पीर तू है फ़क्कर अव्वल फ़क़ीर तू है हासा वी

दरबार में सतगुरु प्यारे के दुःख दर्द मिटाये जाते है दुनिया के सताए लोग यहाँ सीने से लगाए जाते हैं

भावें दुःख दे,भावें सुख दे, मैनु दोवेई गल्ला तेरिया चंगिया । भावें चंगिया,भावें मंदिया, सतगुर तेरिया रंगा दे विच रंगिया

मैं गुरु जी दे लड़ लगीया,मेरे तो गम परे रहंदे, मेरी आसा उम्मीदा,दे सदा बूटे हरे रहन्दे ॥ कदे वी

सब देयो बधाईयाँ नी सहेलियो नी सहेलियो, रब सतगुरु बन आया, ओंदा सोणा नूरी मुख सईयों, कर दर्शन लैंदी भुख सईयों ॥ ओ सबदे सुणदा दुख सईयों, ओने सब नू गल लाया, सब देयो बधाईयाँ नी ….. जेड़ा दर आवे ओ तरदा ऐ, खाली झोली सबदी भरदा ऐ ॥ ओ सबदे दुखड़े हरदा ऐ, बन वाली जग दा आया, सब देयो बधाईयाँ नी……. ओंदा खुलया भंडारा रेंदा ऐ, ओनू हर कोई दाता कैंदा ऐ ॥ ओ सबदे अंग संग रैंदा ऐ, ओदा भेद किसे ना पाया. सब देयो बधाईयाँ नी……..

फुला वाली पालकी च मेरे गुरु जी आये ने, संगता ने हाथ जोड़े शीश झुकाये ने, फुला वाली पालकी च

मेरे सतगुरु दीनदयाल काग से हंस बनाते है। अजब है संतो का दरबार जहाँ से मिलती भक्ति अपार शब्द अनमोल

श्री प्रसाद गिरी तुम हो सिद्ध, श्री जग ने जाना तेरी चौखट पे झुकता जमाना, आकर चरणों सिर को झुकाये,

ओ जी म्हाने कर मनुहार पिलायो जी, सतगुरु म्हाने प्रेम प्यालो पायो जी, असंग जुगा री म्हारी नींद उड़ाई जी,

रब्ब मेरा सतगुरु बन के आया, मैनू वेख लें दे। मैनू वेख लैन दे, मथ्था टेक लैन दे॥ बूटे बूटे