
सारे द्वारे छोड़ आया मैं तो बड़े मंदिर में
सारे द्वारे छोड़ आया मैं तो बड़े मंदिर में, दर आया की लाज तू रखना, अपनी किरपा का हाथ तू

सारे द्वारे छोड़ आया मैं तो बड़े मंदिर में, दर आया की लाज तू रखना, अपनी किरपा का हाथ तू

आई आई जुलाई सत आई जी, हॉवे हॉवे वधाई वधाई जी, आया आया जन्मदिन गुरु जी दा, छावा छावा के

मेरा अवगुण भरया शरीर गुरु जी मुझे कैसे तारो गे, कैसे तारो गे गुरु जी कैसे तारो गे, मेरा अवगुण

आज दिन चड़ेया है फिर रात भी औना, असी दिल लाया है गुरु जी सब चंगा करना, जो भी करदे

मस्ती दे विच बेठे गुरु मस्त फ़कीर है, कोई कहंदा बाबा नानक कोई कहंदा पीर ऐ, अमृत वेले उठ गुरु

सच्चे पातशाह मेरी बक्श खता मैं निमाना, तू बेअंत तेरा अंत ना जाना, दीन छोड़ दुनि संग लगा, तेरा नाम

एह मेरे गुरु जी एह मेरे मालिक दात बस यही मांगू तुझसे, तेरी ही राह चलता राहु सदा, मुझे ऐसी

हमे समजा न बेगाना गुरु जी तेरा शुकराना हमारे दोश न देखे हमारे ऐब न देखे कोई अवगुण भी देखा

दर्शन दीजे नाम सनेही, तुम बिन दुःख पावे मेरी देही, अन्न ना भावे नींद न आवे, बार बार मोहे बिरहा सतावे, अन्न ना भावे नींद न आवे, बार बार मोहे बिरहा सतावे, दर्शन दीजे नाम सनेही, तुम बिन दुःख पावे मेरी देही, नैनन चलत सजल जलधारा, निश दिन पंथ निहारु तुम्हारा, नैनन चलत सजल जलधारा, निश दिन पंथ निहारु तुम्हारा, दर्शन दीजे नाम सनेही, तुम बिन दुःख पावे मेरी देही, गृह आंगन मोहे कछु न सहाई, बजर पई और फिरयो न जाई, गृह आंगन मोहे कछु न सहाई, बजर पई और फिरयो न जाई, दर्शन दीजे नाम सनेही, तुम बिन दुःख पावे मेरी देही,

श्री गुरु चरण में शीश जुकाती अंतर मन में ज्योति जगाती उस ज्योत में स्वर्स्वती गूंजे ब्रह्मा नन्द का सुख