
ये संतों का प्रेम नगर है यहाँ संभल कर आना जी
ये संतों का प्रेम नगर है, यहाँ संभल कर आना जी……… ये प्यासों का प्रेम नगर है, यहाँ संभल कर

ये संतों का प्रेम नगर है, यहाँ संभल कर आना जी……… ये प्यासों का प्रेम नगर है, यहाँ संभल कर

असा लुटिया गुरा दा प्यार, गुरा ने साडा दिल लुटिया, साडा दिल लुटिया साडा दिल लुटिया, साड़ी जुड़ गई नाम

सुख वेले शुकराना दुःख वेले अरदास, हर वेले तेरा सिमरन गावा मेरे दतेया, सुख वेले शुकराना दुःख वेले अरदास, सुख

कमली हां मैं सोहने सतगुरु दी सइयो कमली हां, ऐसा रंग मुरशद दा चड़ेया लोक केहन मैनु कलि, लोका तो

मेरे सतगुरु हारा वाले जग विच ने इस दे उजाले मेरे मुरशद हारा वाले जग विच ने इस दे उजाले,

ओ जी म्हाने कर मनुहार पिलायो जी, सतगुरु म्हाने प्रेम प्यालो पायो जी, असंग जुगा री म्हारी नींद उड़ाई जी,

सांसों के तार तार मे गुरु नाम को पिरोलो शुभ कर्म करके पुण्य का जीवन बीज वोह लो, सांसों के

(तर्ज: कन्हैया दौड़े आते है…) सच्चे मन से गुरुवर का तुं ध्यान लगायेगा पार तुं खुद को पायेगा

गुरु जी गुरु जी गुरु जी गुरु जी , मैं पल पल याद करा मैं पल पल याद करा, ॐ

मेरी अर्ज सुन लो गरीब निवार, गुरु जी कब से खड़े है तेरे द्वार, तुम बिन सावन की अखियां बरसी