
बन के मोर छड़ी सांवरिया
बन के मोर छड़ी सांवरिया थारे हाथ में सज जाऊ बन के मोरछड़ी, हाथ में सज जाऊ मैं थारे हाथ

बन के मोर छड़ी सांवरिया थारे हाथ में सज जाऊ बन के मोरछड़ी, हाथ में सज जाऊ मैं थारे हाथ

तर्ज : काली कलायन (पणीहारी) राजस्थान री खाटू नगरी में बेठ्यो म्हारो बाबो श्याम बेठ्यो म्हारो बाबो श्याम हर पल

मनड़ो माहरो गबरावे धरीज भी छूटो जावे, दीजो सहरो महारा संवारा, अखडलिया भर भर आवे जद भी तू देर लगावे,

दीनानाथ मेरी बात छनि कोणी तेरे से, आँखड़ली चुराकर बाबा जासी कठे मेरे से, खाटू वाले श्याम तेरी सरन में

जब से मैं जुडी हु दर से तब से खुशियाँ नव से बरसे, मेरे श्याम मेरे गिरधर मेरे साथ यु

मैंने श्याम को व्यथा सुनाई मेरा बन गया श्याम सहाई मेरे सिर पे हाथ फिराया मुझे प्रेम से ये समजाय

साथी हमारा कौन बनेगा,तुम नहीं सुनोगे कौन सुनेगा तुम ना सुनोगे कौन सुनेगा आ गया दर पे तेरे, सुनाई हो

ताज महल से प्यारा खाटू धाम है, लाल किले से प्यारा तोरण दरबार है, सात अजूबे इस दुनिया में प्यारे

अपने सांवरिया के मैं करीब हूँ मैं दुनिया में सबसे खुशनसीब हूँ अपने सांवरिया के ………………. श्याम का दर घर

ग्यारस के दिन माल लुटावे सांवरिया सरकार, ओ वनवारे चल सांवरिया के दरबार, लेके निशान प्यारे खाटू में जाना जाके