
क्या खेल रचाया है
क्या खेल रचाया है, तूने खाटू नगरी में बैकुंठ वसाया है कहता जग सारा है वो मोर छड़ी वाला हारे

क्या खेल रचाया है, तूने खाटू नगरी में बैकुंठ वसाया है कहता जग सारा है वो मोर छड़ी वाला हारे

छोड़ जाने दे अब तक हुआ जो हुआ, श्याम को हर कमी तेरी मंजूर है, रात भर था सिरहाने वो

श्याम को अलबेलो दरबार, खाटू को अलबेलो दरबार, यह विराजे शीश को दानी कलयुग को अवतार, श्याम का अलबेला दरबार

श्याम तुम्हारे नाम का जग में गूंज रहा जयकारा है, तेरे जैसा देव न दूजा भोल रहा जग सारा है,

हार गया हुआ खेते खेते मिलता नहीं किनारा, देदो श्याम सहारा, भटक रहा हु भव सागर में छाया है अनधिकारा.

हो आयो फागुन को मेलो आयो रे हिवड़ो यो म्हारो हरशायो रे , चाला जी चाला सागे खाटू नगरियाँ बाबा

क्या बताये तुम्हे खाटू वाले किस कधर तुमसे चाहत है हम को हर गद्दी नजरे तुम को निहारे कैसी जुलमी

घिर आया है जीवन में मेरे कष्टों का तूफान हाथ पकड़ ले आके मेरा कहीं निकल ना जाये जान थामो

जाने कौन सा दिया रे निशानी दीवानी राधा रानी हो गई दीवानी राधा रानी हो गई ….. श्याम कौन सा

तेरा दरबार यूँ ही सजता रहे, युही भगतो का मेला लगता रहे, मैं राहु न राहु इस दुनिया में, तेरा