कीर्तन बाबा का
कीर्तन बाबा का कीर्तन बाबा का , प्रेमी है तयार आज मेरे घर आया मेरा लखदातार, कीर्तन बाबा का कीर्तन
कीर्तन बाबा का कीर्तन बाबा का , प्रेमी है तयार आज मेरे घर आया मेरा लखदातार, कीर्तन बाबा का कीर्तन
निशान बाबा को हाथ में लेकर,भगता नाचे रे निशान बाबा को…………. रंग बिरंगी धव्जा श्याम की,लहर-लहर लहरावे रे चम् चमके
तेरे भरोसे बैठो संवारे बोल कहा मैं जाऊ मालिक है जब तू ही मेरा किस से आस लगाऊ, कौन सा
श्याम धनी आने में, जो देर लगाओगे, इतना समझलो हारे हुए को और हराओगे ॥ लिखा तेरे मंदिर पे, “हारे
ना पुष्पों के हार ना सोने के दरबार ना चाँदी के श्रृंगार,श्याम तो प्रेम के भूखे है, मन में साँझा
तेरी मोरछड़ी का जादू कैसा छा गया, प्यारा प्यारा रूप तेरा मुझको भा गया, छोड़ कर सारा जग तेरा दर
क्या बतलाऊँ दुनिया को ये रिश्ता क्या कहलाता है मैं तो इतना जानूं मेरा श्याम से गहरा नाता है क्या
सँवारे का भक्तो ने ऐसा किया शृंगार है, खूब सजी है खाटू नगरी, जिधर भी देखो रंग बिरंगी फूलो की
श्याम थारो नाम लागे भकतो को प्यारो है, थारे नाम सु बाबा , पहचान है म्हारी, थारे नाम को ,
वो हाथ पकड़ मेरा खाटू ले जाते है, हर ग्यारस में मुझको मेरे श्याम भुलाते है, जिसकी खातिर दुनिया दिन