
श्री श्याम धनि का तू होजा
श्री श्याम धनि का तू होजा क्यों व्यर्थ ये उम्र गवाता है कुछ भी न संग तेरे जाना सब माल

श्री श्याम धनि का तू होजा क्यों व्यर्थ ये उम्र गवाता है कुछ भी न संग तेरे जाना सब माल

भीख नहीं मुझे चाहिए दो मेरा अधिकार, मैं नालायक हु बेटा पर तू तो समझदार, भीख नहीं मुझे चाहिए दो

तेरी रहमतों का श्याम अगर सहारा नहीं मिलता मेरी डूबती नैया को कभी किनारा मिलता जबसे खाटू में हम आने

सज धज कर बैठ्यो सांवरिया, यूँ बैठ्यो बैठ्यो मुस्कावे, चलो नजर उतारे कान्हा की, कहीं आज नजर ना लग जाए,

बाबा ने मंत्र मार दियां ईब के चाहिए, मेरे बाबा लखदातार इस ने करा बड़ा उपकार, अब मैं इस से

हारे हम तुम्हारे तुम बनो ना सहारे हमपे दया करो, श्याम जिस ने भी तेरा नाम लिया है गिरता न

हारे का कोई सहारा ना होता अगर तुम ना होते.. तुम्हे देख के श्याम लगता है ऐसे, भक्तो का दिल

ओ जी ओ गिरधारी नटवर नागरिया, थारी नानी बाई को भात भरण ने आओ जी सांवरा ओ जी ओ….. थारे

आयो आयो फागुन रा मेलो आयो, बाबा रो हेलो आयो है रंगी ली फुहार जी, थारा टाबरिया भी आवन ने

ठुकराओ या स्वीकार करो मैं शरण में हु, दुत्कारो या आके प्यार करो मैं शरण में हु, एहसान फरामोश गुनेगार