
खाटू वाले श्याम बिहारी कलयुग के हो तुम अवतारी
खाटू वाले श्याम बिहारी कलयुग के हो तुम अवतारी जो भी आया शरण तुम्हारी रे सांवरा सांवरा बाबा तेरी खाटू

खाटू वाले श्याम बिहारी कलयुग के हो तुम अवतारी जो भी आया शरण तुम्हारी रे सांवरा सांवरा बाबा तेरी खाटू

धर्म कर्म में लगा जन्म क्यों भटके रेत में, मेरा श्याम धनि मिट जावे से भगता के हेत में, रुके

खाटू वाला है हम जैसे दीनो का अधार, आंसू आँखों के पौंछे करता है प्यार, चलते चलते जब गिर जाता

मैं हार के आया हूँ चरणों से लागलो श्याम हारे का सहारा तू मुझे अपना लो श्याम मैंने सुना है

श्याम के जैसा कहा कलयुग में दातारी खाली गया जो खाटू श्याम ने झोली भरी हर मुश्किल आसा कर दे

मुकट जयपुर से है मंडावा साथ सोने का छतर भी लाया, हाथ में चूरमे की थाली साथ में टाबर और

निर्मोही नन्दलाल घणो तरसावे मतना पुराणी यारी हे रे सांवरा भुलावे मतना पुराणी यारी हे रे सांवरा…….. मूलक मूलक कर

नजदीक मेरे आने में आफत घबराती है, मेरे सर पर श्यामधणी की मोरछड़ी लहराती है…………. कोई श्यामधणी के जैसा नहीं

पलके बिछाये खड़े द्वार सँवारे, तेरे भगतो को है इंतजार सँवारे पलके बिछाये खड़े द्वार सँवारे, चुन चुन कलियाँ तेरे

पल्लो देख ले बीछाके, जो भी दरकार हे, म्हारों सांवरो,सलूनो बड़ो दिलदार हे, खाटू वालो श्याम हमारो,भर भर मुट्ठी बांटे,