
बड़ी दूर से चल कर के मैं खाटू नगरी आया
बड़ी दूर से चल कर के मैं खाटू नगरी आया, तरह तरह का देसी खाना तेरी खातिर लाया, सुन के

बड़ी दूर से चल कर के मैं खाटू नगरी आया, तरह तरह का देसी खाना तेरी खातिर लाया, सुन के

साथ साथ रेहना बांके बिहारी जीत के भी बाबा मैं अपनों से हारी दिया प्यार मुझको कभी न किसी ने

खाटू वाले शीश के दानी मैं तो तेरी हुई दीवानी, श्याम सांवरियां हमने अपनी तेरे नाम लिखी जिंदगानी, खाटू वाले

सांवरे सलोने से जबसे मेरी प्रीत हो गयी, हारा हुआ था मैं अब तो मेरी जीत हो गई, फागुन में

म्हारो मन को पंछी बोले फागण आयो रे, मस्त मलंगी रंग रंगीला मौसम ले आयो रे, श्याम धनि ने ठाकुर

मेरे खाटू वाले शयम तू कितना सोहना है । कोई तुझ सा ना जग में श्याम, तेरा क्या कहना है

जब से खाटू जाने लगा हु सँवारे को चाहने लगा हु, श्री श्याम श्री श्याम गाने लगा हु, नास्तिक था

आओ पधारो महारे आंगने जी, महारा खाटू वाला श्याम माहरे लीले वाला श्याम, घंटो तराला मनोहार बाबा जी, चन्दन चौंकी

सारी दुनिया में ऊँची मेरी शान हो गई, जबसे खाटू वाले श्याम से पहचान हो गई, मैं था निर्बल बड़ा

पहचान मेरी तुझी से माँगा नहीं है किसी से, मैंने जो तुझसे है माँगा मेरे श्याम ने दिया है, जीना