
फागण का मेला है और चढ़ी खुमारी है
फागण का मेला है और चढ़ी खुमारी है, बाबा के दर्शन को मेरे मन में आ रही है, हाथो में

फागण का मेला है और चढ़ी खुमारी है, बाबा के दर्शन को मेरे मन में आ रही है, हाथो में

जो मेरे श्याम की नगरी आओगे, नहीं पछताओगे नहीं पछताओगे, खाटू वाली गलियां न भूल पाउगये, करो गे जी याद

खाटू नगरी में ऐसा एक गुलाब है सारी दुनिया में सबसे लाजवाब है, पूरा करता हर भगतो के वो खवाब

श्याम की बाजे बंसुरिया देखो खाटू नगरियाँ, खाटू नगरियाँ देखो खाटू नगरियाँ फागुन में भीगे चुनरिया देखो खाटू नगरियाँ श्याम

मोर छड़ी और नीले में जंग छिड़ी है भारी, है हम दोनों में कौन बड़ा तुम बोलो ये गिरधारी, सांवरियां

तेरा शुक्र है लखदातार हम बड़ी मौज में है, तेरा बन के सेवादार हम बड़ी मौज में है, बादशा बनाया

सावों दीन्यो मांड भरोसो, करके थारो जी आज्यो सांवरिया न्युतो और बुलावो दोनु मानो महारो जी आज्यो सांवरिया यू तो

मेला फागुन का आया रे, लिए हाथो में रंग खेले श्याम के संग दिन खुशियों का आया रे, मेला फागुन

भोर भई जब सूरज निकले सिन्दूरी रंग छाये पवन के संग संग पंछी बोले मयूर मन मेरा गाये मन यही

हम तो आये शरण में तुम्हारी लाज हाथो में तेरे हमारी, हम को तुमपे भरोसा अटल है तुम संभालोगे हम