
खाटू वाले श्याम ये कैसी माया है
खाटू वाले श्याम ये कैसी माया है, या लीला धरी ने खेल रचाया है, पुत्र हो या पौत्र भीम के

खाटू वाले श्याम ये कैसी माया है, या लीला धरी ने खेल रचाया है, पुत्र हो या पौत्र भीम के

नजरे रही है तुम्ही को निहार दर्श दोगे कब मुझको हे लख दातार यु होता नही मुझसे अब इन्तजार दर्श

तेरी सवाली सूरत बाबा दीवाना बनाती है, किसी और को कैसे देखु नजरो में सूरत तेरी है, तेरी सवाली सूरत

एक गाय नित आय कर देती दूध पिलाय मगन होय पावस कर भारी लुल लुल पूँछ हिलाय साँझ ढले घर

जबसे मिले हो सांवरे दुनिया संवर गई, अश्को से नम मेरी ज़िंदगी खुशियों से भर गई, जबसे मिले हो सांवरे

हारे के सहारे आजा, तेरा दास पुकारे आजा, हम तो खरे तेरे दुआरे, सुंले करूँ पुकार, कोई सुनता नही, मैं

श्याम के दर पे धूम मचाऊ, नाचू खुद और सबको नाचउ, तरह तरह के रंग से सजेगी नगरी श्याम की,

.मेरी नाव भवर मेंडोले डाग माग खाए हिचकोले ..२ कही डूब ना जाये बाबा आब तो आके शुध ले ले

जब भी हो कोई, बस तुमसे ही बात हो, तेरी चौखट पे सर मेरा, दिन रात हो, तेरे हाथों में

मुझको भी एक बार बुलाना, देखो मेरा दिल न दुखाना, दर पे तेरे सांवरिया, कैसा मेला लगता है मेले में