एक बार खाटू जी
तर्ज : त्रिलोकि रो नाथ जाट के रह गयो हाली जी खाटू वाले हमें बुलाले एक बर खाटू जी म्है
तर्ज : त्रिलोकि रो नाथ जाट के रह गयो हाली जी खाटू वाले हमें बुलाले एक बर खाटू जी म्है
दुनियाँ मैं खा के ठोकर, आया हुँ तेरे द्वारे बिगडी मेरी बनादे ओ हारे के सहारे लाखो ने मुझसे पेहल,
श्री श्याम तेरा दरबार जिसको रास आ गया है, वो एक दो तीन नहीं पाँचवी पास हो गया है, पहली
फागुन में खाटू आएंगे रंग गुलाल भी लाएंगे तेरी सवाली सूरत को गुलाभी कर देंगे सुन सांवरियां सरकार तुझे हम
जब हार के जग के लोगों से पहुंचा खाटू दरबार ग्यारस का दिन था श्याम का बैठा था लखदातार आया
सजा है संवारे दया का द्वार छोड़ कर के कहा जाये हम सजा है संवारे दया का द्वार बंधन इस
ओ नीले घोड़े वाले तेरे खेल है निराले, तेरे खेल है निराले खाटू वाले तेरा तो जवाब नहीं हारे का
दरबार अधुरा बाबा का हनुमान के बिना, फागुन अधुरा सूरजगढ़ निशान के बिना, कहती है दुनियां सारी है ध्वज की
आजा आजा रे सांवरिया , तेरा लाड़ लड़ावगा, मीठा मीठा भजन सुनाकर, तने रिझावागा, आजा आजा रे….. कई दिना से
मेरा कोई न सहारा हारे के ओ सहारे, मैंने तुझको ही पुकारा आजा ओ श्याम प्यारे मैंने जखम है इतने