तेरा उपकार है
सारी खुशिया घर आंगन है खुश मेरा परिवार है, तेरा उपकार है तेरा उपकार है, इस लायक मैं नही संवारे
सारी खुशिया घर आंगन है खुश मेरा परिवार है, तेरा उपकार है तेरा उपकार है, इस लायक मैं नही संवारे
कोई विपदा हो मुझपे पड़ी जो जग में कहाँ मैं जाऊंगा तेरे ही दर आऊंगा मैं शीश झुकाऊँगा मैं नमन
कहते है हक़ से अधिकार हमारा है, खाटूवाला सांवरियां ही प्यार हमारा है, सामने कहते है सबके खुल के इजहार
भगतो के मन को ये भरमा रही है, मोरछड़ी श्याम की गज़ब ढा रही है, संकट मिटा के ये लेहरा
खाटू का फागण त्यौहार जिसने देखा पहली बार श्याम धनी का वो दरबार जिसने देखा पहली बार श्याम दीवाना हो
बटती आज बधाई सारी दुनिया में आई मस्त बहार खाटू नगरी में झूमता है जहाँ नाचता है जहां श्याम नगरी
खाटू वाले श्याम धनि तेरी याद सतावे से, घात मेरे बाबा ना निंदिया आवे से, खाटू वाले श्याम धनि …..
कार्तिक के जाते ही मन में चाव चढ़ गया, सांवरिये से प्रेम थोड़ा और बढ़ गया, अरे सोच सोच के
हो गया अब मुझे श्याम पे ऐतबार, मेरा मालिक हो गया है बाबा लखदातार, शाम सवेरे अब मैं तो सुमिरण
हार के मैं आया हूँ तेरे दरबार में तेरे ही भरोसे चलती भगतों की नाव रे सुना तेरी चौखट पे