
देवो मे है देव निराला लीला अप्रम पार
शीश निभाती जिसको दुनिया करती जय जय कार, देवो मे है देव निराला लीला अप्रम पार, वो है श्याम धनि

शीश निभाती जिसको दुनिया करती जय जय कार, देवो मे है देव निराला लीला अप्रम पार, वो है श्याम धनि

हे श्याम अब तो आजा बाबा श्याम अब आजा, धीरज हमारी छुटी धीरज जरा बंधा जा, हे श्याम अब तो

आखरी समाय में हम करीब हो न हो मिटटी खाटू धाम की नसीब हो न हो जब तक तन में

खाटू वाले मेरी अर्जी न ठुकरा, मेरी अर्जी न ठुकरा मेरा वेडा पार लगा, खाटू वाले मेरी अर्जी न ठुकरा,

मैं हूँ भक्त तेरा दीवाना भक्ती तेरी करता हु, सारी दुनिया से कह दूँगा नाम तेरा ही रट ता हु,

खाटू के श्याम धणी की महिमा अपार है जो माँगना है सो माँगो,सच्चा दरबार है कलयुग में हारो का तो,जीना

चिट्ठी आती है ना तार आता है फिर खाटू दर्शन को संसार जाता है वो खाटू में बैठा बैठा कैसा

जब जब मुझको श्याम तेरी दरकार पड़ी, तू लीले चढ़ कर आया लेकर मोरछड़ी, ना जानू क्या श्याम से मेरा

है सेठो के सेठ निराले तेरा चर्चा श्याम सब और है, तेरे हाथो में खाटू वाले इन भगतो की जीवन

मुझे तेरे खाटू धाम आना है वहीँ मेरा ठिकाना है तेरे चरणों की रज्ज मिले मुझको तेरी भक्ति को पाना