श्याम जिमावै जाटनी
नरम नरम लायी घाल गरम कान्हा माखन रोट मैं श्याम जिमावै जाटनी घुंघट की ओट म्ह सांवरिया करूं ओट तन
नरम नरम लायी घाल गरम कान्हा माखन रोट मैं श्याम जिमावै जाटनी घुंघट की ओट म्ह सांवरिया करूं ओट तन
निर्मोही नन्दलाल घणो तरसावे मतना पुराणी यारी हे रे सांवरा भुलावे मतना निर्मोही नन्दलाल घणो….. मूलक मूलक के दूर दूर
तू तो हारे का सहारा है श्याम, सब की अर्जी सुनते हो मेरे दानी श्याम, मेरी कश्ती को किनारा देदो,
आजाओ इक बार मेरे श्याम सलोने यार, मिल कर आज सजाया तेरा सूंदर ये दरबार, आजाओ इक बार…. कीर्तन की
श्याम की किरपा मिली तो, श्याम का कर शुक्रिया, दर बदर क्यु फिरता है, मिला है हमसफ़र ऐसा, तु क्यु
मत कोस तू अपनी किस्मत को मत कोस तू अपनी चाहत को ना कोस तू अपनी मेहनत को न कोस
चाहे जल्दी बदले चाहे धीरे धीरे, मेरा सांवरिया सरकार बदलता तकदीरे, भक्तो की तकदीर बदलने का ले रखा ठेका, कौन
थाने मिलना नहीं ते ढूंढो भले चारो और जगत में जा, खाटू जैसा दरबार, घर परिवार का खरचा चले भगता
ओ मेरे सांवरे, मिल गई छाव रे, ख्वाब देखा जो पूरा, मेरा हो गया, देखते ही तुझे, मिल गया सब
डगमग डोले जीवन नैया बीच फँसी मझधार पार लगा दे खाटू वाले थाम के तू पतवार जिसके साथ खड़ा तू