कीर्तन की है रात
कीर्तन की है रात श्याम जी आ जाओ, भगता लगाई आस श्याम जी आ जाओ, कीर्तन की है रात श्याम
कीर्तन की है रात श्याम जी आ जाओ, भगता लगाई आस श्याम जी आ जाओ, कीर्तन की है रात श्याम
नीले घोड़े रा असवार करा थारी मनवार बाबा महारे घर आओ जी, कान ने थारे कुण्डल सोहे गल बैजंती माला,
रखना सांवरे , अपना बनाइके अँखियो में रखले कान्हा , पलके बंद करले कान्हा काजल बनाइके रखना सांवरे , अपना
मेरी इज्जत क्या जाये मेरी जात भिखारी की , इज्जत सारी दुनिया में श्याम तेरी दातारि की, अगर माँगने गया
दातार हो तो दया तुम दिखा दो, गुजारु ये जीवन कैसे इतना सीखा दो, बाँध सबर कर टूट न जाये,
(तर्ज: काली कमली वाला….) सांवरिया तेरा हमपे जो प्यार है , कैसे बोलूं कितना बेशुमार है जितना सोचा उतना पाया
करते है बाबा तेरा हर पल शुकरियाँ, खुशियां जो दी है उस का भी शुकरियाँ,, हम तेरा दियां खाये तेरा
तेरे हाथ भक्ता दी डोर, कभी न छूटे डोर सवारा डोर बड़ी कमजोर, तेरे हाथ भक्तों की डोर साँवरे ,
नजर दया की संवारे इक बार करो, शरण पड़े को बाबा अब सवीकार करो, दर दर भटके अब तेरे दर
कलयुग का ये देव निराला श्यामधणी मेरा ये खाटू वाला, हाथ पसारे जो भी आया उसी को मालामाल कर दियां,