
पलकों की बगिया में तुमको बिठा कर
(तर्ज – दिल के झरोखे में) पलकों की बगिया में तुमको बिठा कर, भावों के भजनों से तुमको रिझा कर,

(तर्ज – दिल के झरोखे में) पलकों की बगिया में तुमको बिठा कर, भावों के भजनों से तुमको रिझा कर,

तर्ज़ :- जिहाले मस्ती (गुलामी ) मेरी जीत भी तू ,मेरी हार भी तू, मेरी सांसों के, हर तार में

एक भोला भगत बाबा श्याम के खाटू मंदिर में जाकर उन्हें अपनी कुटिया में आने का निमंत्रण देता है |

मेरा कोई नहीं श्याम तेरे सिवा, तेरे दरपे सवाली आया हु, मेरा कोई नहीं श्याम तेरे सिवा, मुझे रहमो कर्म

जब खाटू नगर जाना ये बात मत भुलाना, लूट ता वह खजाना खाली हाथ जाओ गये, झोली भर के लाओ

खाटू वालो श्याम धणी से, हेत पुराणों से, दरजी सिम दे निसान, मन्ने खाटू जानो से ॥ कितनो मीटर कपड़ो

काल रात ने सुपनो आयो बाबो हे ले मारे मंदिर में मेरो मन नही लागे मने ले चलो सागे भगत

मैं शुकर मनावा जी जो दर तेरा पावा जी, मुझे तेरा प्यार मिला हां तुझसा यार मिला, तू ही पहचान

दुनिया पे संकट आयो,मंदिर भी हुयो परायो जो हुयो ना अब तक बाबा,तू ऐसो खेल रचायो तू आजा रे,श्याम मेरे

कार्तिक आया रे आया रे छाई मस्त बहार, भगत सब नाचो रे गाओ रे राजी लाख दातार, श्याम जयंती आई