
मेरे बाबा ने बाँधी कमाल पगड़ी
मेरे बाबा ने बाँधी कमाल पगड़ी, थोड़ी केसरियां थोड़ी सी लाल पगड़ी, लाल पगड़ी कमाल पगड़ी, पचरंगी बाबा की पगड़ी

मेरे बाबा ने बाँधी कमाल पगड़ी, थोड़ी केसरियां थोड़ी सी लाल पगड़ी, लाल पगड़ी कमाल पगड़ी, पचरंगी बाबा की पगड़ी

फाल्गुन के मेले में मुझको बुलाकर… बैठा तू भक्तों का जमघट लगाकर… कैसे मिलूं तुमसे श्याम… तू ही बता मेरे

बाबा तेरे भगतो का तू ही है बस इक सहारा तेरे ही भरोसे पे है जुड़ा परिवार हमारा, तू है

मेरा तो इक सपना है मैं बस जाऊ खाटू में, श्याम के चरणों में ये जीवन कटु मैं जहा चले

आया हु थेरे दर पे श्रद्धा के फूल लेकर…. सेवा में दास रख लो चरणों की धुल देकर…. इतने बड़े

बाँवरे क्यों गबराता है श्याम शरण में आजा ये सारे कष्ट मिटाता है बाँवरे क्यों गबराता है अपने जब होते

तर्ज:- क्या से क्या हो गया देखते देखते जग ने रुलाया, जग ने हराया, हार के जग से, दर तेरे

सांवरिये दीदार तेरा पाने आए हैं मंदिर के पट खोल तेरे दीवाने आए हैं लम्भी लम्भी लगी है कतारे, अद्भुत

सांवरियो आड़े आवे गो, जब कोई ना आवे गो दुनिया में थारे काम, सांवरियो काम बनावे गो, भटक भटक जद

दुःख बड़े सहे दिन रात मगर तेरा द्वार नहीं छोड़ा आँखों में रही बरसात मगर तेरा द्वार नहीं छोड़ा मेरा