मेरे प्राणेश मन मोहन
मेरे प्राणेश मन मोहन तुम्हे ढूँढू कहाँ जाकर, बड़ा बेचैन हूँ तुम बिन जरा देखो मुझे आकर, मेरे प्राणेश मनमोहन
मेरे प्राणेश मन मोहन तुम्हे ढूँढू कहाँ जाकर, बड़ा बेचैन हूँ तुम बिन जरा देखो मुझे आकर, मेरे प्राणेश मनमोहन
कोई नही कोई नही कोई नही भगतो कोई नही , राधा रानी जैसी सुंदर कोई नही, राधे तेरे नाम का
राज पाठ और ठाट बाट के पीछे याद तड़पती है, राज पाठ के ठाट बाठ में गाइया याद आती है,
कन्हैया तोरी बंशी में सात छेद रे, सात छेद सात रस सातों भेद रे, कन्हैया तोरी बंशी में सात छेद
मेरो गोपाला नंद के लाला मनवा पिया रे तेरे नाम का प्याला बोलो जय श्री राधे कृष्णा बोलो जय श्री
काहे वन में खड़े मोहन जी यूँ बंसी बजाते हो के राधा को बुलाते हो या गोपियों को रिझाते हो
अगर ब्रज का बना दो मोर राधे ना चाहु कुछ और, मन में मेरे तड़प बड़ी है, चौकठ तेरी पे
जितना राधा रोई-रोई कान्हा के लिए, कन्हैया उतना रोया-रोया है सुदामा के लिए यार की हालत देखि,उसकी हालत पे रोया
नि मैं गोविन्द गोपाल गौन्दी फिरा, प्यारे मोहन नु रिजांदी फिरा तेरे उतो दिता है जहान सारा वार वे, प्रेम
श्याम अपने दीवाने पर एक कर्म कमा देना, जिस दिन मैं तुझे भूलू दुनिया से उठा लेना, जरा हु तेरी