के श्याम तेरा शुक्राना
जब विपदा की बदरी थी छाई तूने मोरछड़ी अपनी लहराई हर मुसीबत से मुझको बचाया के श्याम तेरा शुक्राना तूने
जब विपदा की बदरी थी छाई तूने मोरछड़ी अपनी लहराई हर मुसीबत से मुझको बचाया के श्याम तेरा शुक्राना तूने
पार करेंगे नैया भज कृष्ण कन्हैया निस दिन भज गोविन्द प्यारे, मोर मुकुट पीतांबर वारे । भगतो के रखवैया, भज
नी मैं रल भगता नाल गावा श्यामा जी तेरिया आरतिया हाथ मेरे में गंगा जल गड़वी मैं श्याम दे चरन
सुना है इन्कार करते नहीं किसी की भी निराश करते नहीं द्वार पे जो आये कोई झोली फैलाये कोई भरते
नौकरी करली है बरसाने दरबार, ऊचे महल अटारी वाली अलबेली सरकार, नौकरी करली है बरसाने दरबार, बिन तन खासे करू
कृष्ण कृष्ण बोल हरी हरी बोल अपनी वाणी में थोडा अमृत गोल कृष्ण कृष्ण बोल हरी हरी बोल जन्म मरण
परदा हमसें करते हो क्यों बिहारी जी, मुख अपना छिपाते बिहारी जी परदा हमसें करते हो क्यों बिहारी जी फूलों
लाला आओ जी माखन खावो जी, अपनी यशोदा मैया को ना सतावो जी, अब नही कान्हा तुजसे देह्नु चराईं हो,
नन्द लाला ने बरसाने में खेली ऐसी होली रे मैं तो सांवरिया की हो ली रे तन मन चोला साडी
सवारियां तू आजा ॥॥ आजा कन्हैया तेरी राधा है बुलाये मुझे क्यू तड़पाये हर पल तेरी याद सताये के छम