अरा रा रा रा भर पिचकारी मारी है
राधे कृष्णा अरा रा रा रा रा रा रा …. अरा रा रा रा भर पिचकारी मारी है फाग मचायो
राधे कृष्णा अरा रा रा रा रा रा रा …. अरा रा रा रा भर पिचकारी मारी है फाग मचायो
सुन ऋ राधा बरसाने की तू बात मान ले कान्हा की, व्याह करवाओ तुम संग ही ये मेरा वादा है,
कहा ठौर थी हम गरीबो को जग में अगर तुमने दिल में बसाया ना होता मर ही गए होते हम
खुदा ने पूछ लिया बैकुंठ जाना है मैंने भी पुछ लिया क्या वहां बरसाना है नहीं है स्वर्ग में ऊँची
जब से आई शरण श्याम की मै, मैंने मन की मति को छोड़ डाला, खुद को कर डाला उसको ही
ऐ श्याम मेरे कन्हैया संभालो तेरे भरोसे है नैया संभालो, दुनिया के भव सागर में बड़ी लम्बी दूर किनारा है,
राधा रानी को अपनी बिरहन बना के, भूल गए कान्हा क्यों मथुरा में जा के राधा रानी को अपनी बिरहन
खावे माखन ते मिश्री गोपाल वे, रंग काले दे हो गया लाल वे , दूध पीवे ते दही खावे नाल
कब मिलहे घनश्याम श्याम मुख मोड़ गये सज में, सुना गोकुल धाम कुञ्ज वन छोड़ गये सच में, कब मिलहे
राधा रानी झूल रही थी काली खोली में झोटा देते श्याम खड़े भगतो की टोली में निराली शान राधा की