लग रही आस करूं ब्रजवास, तलहटी गोवर्धन की मैं।
लग रही आस करूं ब्रजवास, तलहटी गोवर्धन की मैं।भजन करूं और ध्यान धरूं, छैंया कदमन की मैंसदा करूं सत्संग मंडली,संत
लग रही आस करूं ब्रजवास, तलहटी गोवर्धन की मैं।भजन करूं और ध्यान धरूं, छैंया कदमन की मैंसदा करूं सत्संग मंडली,संत

सब राह बंद पड़ जाती हैं,तब एक सहारा होता है,जब कोइ न संगी साथी हो,गोविंद हमारा होता है, जब टूटे

चेहरे चेहरे में नज़र आये चेहरा तेरा। एक दस्तक हुई दिल पर तेरे दीदार से,हो गए हम तेरे देखा जो

कान्हा रे सुन विनती मेरी एक झलक दिखला देमेरे तपते अंतर में तेरी प्रीत की नीर बहा दे..एक झलक दिखला

कन्हैया तेरी मुरली , सोने न देतीरोना चाहें यह अँखियाँ रोने न देती… मन में प्रेम रागिनी का करती संचारचितवन

चक पूछत- पूछत आ गये,पुरी द्वारिका द्वार। ित भवन सब देखते,शोभा बनी अपार। द्वार पाल ने आ कहा,पूछ रहे प्रभु

जाने वाले एक संदेशा श्याम प्रभु से कह देना,एक दीवाना याद में रोये उसको दर्शन दे देना, जिनको बाबा श्याम

सखी झूला झूले राधा प्यारी,झूला खींचे मेरे बाँके बिहारी मेरो रमन बिहारी। चहूँ दिश साबन मास है छाया, झूलन उत्सब

।।श्रीराधे।।लक्ष्मी की अवतार हैं राधाविष्णु की चमत्कार हैं राधाजगत में जो ईश्वर कहलायाउस कृष्ण की आधार हैं राधा वृंदावन की

ऐसा क्या जादू कर डाला,,,,,मुरली जादूगारी ने,….किस कारण से संग में मुरली,,,रखी है गिरधारी ने, बाँस के एक टुकडे में,,,ऐसा