क्या तू लेकर जाएगा
क्या दुनिया में लाया था क्या तू लेकर जाएगा, मुठी बाँध के आया था हाथ पसारे जाएगा, क्या दुनिया में
क्या दुनिया में लाया था क्या तू लेकर जाएगा, मुठी बाँध के आया था हाथ पसारे जाएगा, क्या दुनिया में
एक कोया था वह अपने जीवन से खुश नहीं था एक दिन एक साधु जा रहे थे कोए को देखा
मैनू ना करेओ चरणा तो दूर प्रभु, मेरे कर देओ माफ़ कसूर प्रभु। मैं तां कीते ने पाप ज़रूर प्रभु,
ओ जी ओ पाबूजी थोरी केसर घूघरिया या गमक्कावे ओ पाबूजी, आ तो भगतों रे हित कारणे , पाबूजी भुरजाला
चार दिनों की प्रीत जगत में चार दिनों के नाते है, पलकों के पर्दे पड़ते ही सब नाते मिट जाते
ऐ जीवन दाता सुन हम शरण पड़े तेरे तुम जग के मात पिता हो हम बालक है तेरे ऐ जीवन
तुम्ही हो माता पिता तुम्ही हो। तुम्ही हो बंधू सखा तुम्ही हो॥ तुम्ही हो साथी तुम्ही सहारे, कोई ना अपने
कितना है पावन ये तीर्थ प्रयाग, जिसकी महिमा भाखानि न जाए, महा कुंभ लगे बारहा बरस में. पाप मिटा के
तुमने ही कान्हा सिखा दियापीड़ा में भी मुस्काना।हर दर्द में सुख की अनुभूतिअपने आप से हारते जाना। पलकों में पिय
स्याम! मने चाकर राखो जी गिरधारी लाला! चाकर राखो जी। चाकर रहसूं बाग लगासूं नित उठ दरसण पासूं। ब्रिंदाबन की