
समय को भरोसो कोणी कैद पलटी मार जाव
समय को भरोसो कोनी कद पलटी मार जावे तुलसी नर का क्या बड़ा, और समय बड़ा बलवान, काबा लूटी गोपिया,

समय को भरोसो कोनी कद पलटी मार जावे तुलसी नर का क्या बड़ा, और समय बड़ा बलवान, काबा लूटी गोपिया,

अलख लखा लालच लगा कहत न आवै बैन, निज मन धसा सरूप में सदगुरू दीन्ही सैन उनमुन लगी आकाश में

मेरी चुनरी के लाग्या दाग़ पिया, दाग़ पिया ओ जी, दाग़ पिया, मेरी चुनरी के लाग्या दाग़ पिया पाँच तत्व

ना देना चाहे कुबेर का धन, मगर सलीका सहूर देना। उठा के सर जी सकूँ जहाँ में,

उठो उर्मिला सूर्ये वंश का लखन तेरे अविनंदन में है अनुज धर्म की दवजा त्याग कर शीश निभाये वंदन में

बेहना ने भाई की कलाई से प्यार बांधा है प्यार की दो तार से संसार बाँधा है रेशम की डोरी

ना जरूत उन्हें पूजा और जाप की, जिसने की बंदगी अपने माँ बाप की, रहता ईश्वर सदा उनके ही साथ

बन्दे सब गोकुल के शाम कृष्ण वही है कंस वही है वही रावण वही राम हर अंतर में हरी का

साधु लडे रे शबद के ओटै तन पर चोट कोनी आयी मेरा भाई रे साधा करी है लड़ाई पाँच पच्चीस

मूर्ख बन्दे क्या है रे जग में तेरा, ये तो सब झूठा सपना है कुछ तेरा न मेरा, मूर्ख बन्दे