
जीहदे साइयाँ दी झंजर पै जंदी
जीहदे साइयाँ दी झंजर पै जंदी, ओ फ इको जोगी रह जंदी, ओह रूह फिर दर दर भज दी न,

जीहदे साइयाँ दी झंजर पै जंदी, ओ फ इको जोगी रह जंदी, ओह रूह फिर दर दर भज दी न,

मेरे दाता के दरबार में सब का खाता है जितना जिसके भ्ग्ये में लिखा उतना पाता है, मेरे दाता के

बिन भजन के जगत में तू प्राणी, मोक्ष पाने के काबिल नहीं है, क्या यही मुख तू लेकर के जाए,

ये गुजर जाएगा पल गुजर जाएगा जीवन फिर से सभी का सुधर जाएगा खोफ का जो बसा मन में मंजर

मन के साधे सब सध जाये, मुक्ति, मोक्ष,स्वर्ग मिल जाये. निर्मल मन तो काया निर्मल, दाग ना मन तू लगा..

ताती वाओ ना लगई पार बह्म शरणाई, चौ गिर्द हमारे राम का दुख लगे ना भाई, सतगुरु पूरा पेटेया, जिन

नहीं गंगा सी मैं पावनकैसे चरण पखारूँनहीं दृष्टि ऐसी भगवनदो क्षण तुम्हें निहारूँ कोई जप तप नहीं है मेरासाधना मेरी

मुझे देदो भजन वाली वो माला। हरी देदो भजन वाली वो माला॥ जो माला द्रोपदी ने फेरी। देखो चीर बड़ा

भरी उनकी आँखों में है, कितनी करुणा जाकर सुदामा भिखारी से पूछो है करामात क्या उनके चरणों की रज जाकर

पड़या करो पड़या करो बार बार बानी पड़या करो, सुनिया करो सुनिया करो बार बार बानी सुनिया करो, ऐ बानी