नश्वर काया की सेवा में जन्म विरथा हो जावे
नश्वर काया की सेवा में जन्म विरथा हो जावे तन का नित शिंगार करे पर मन में न रह जावे
नश्वर काया की सेवा में जन्म विरथा हो जावे तन का नित शिंगार करे पर मन में न रह जावे
ऐसी पिलाई साकी, कुर्बान हो चुके हम अब तक रहे जो बाकी, अरमान खो चुके हम करते हो दिल्लगी तुम,
जीते भी लकड़ी मरते भी लकड़ी, देख तमाशा लकड़ी का, क्या जीवन क्या मरण कबीरा, खेल रचाया लकड़ी का, जिसमे
कसमे वादे प्यार वफ़ा सब बातें हैं बातों का क्या कसमे वादे प्यार वफ़ा सब बातें हैं बातों का क्या
रखियां बंधालो भैया सावन आया रे चंदा और सूरज जैसे, राम और लक्ष्मण जैसे प्यारे हमारे भैया , जुग जुग
मक्के गया,गल्ल मुकदी नाहीं चाहे सौ सौ जुम्मे पढ़ आइये बुल्लेशाह को पढ़ें तो जहन में कबीर स्वत आ जाइये
श्री दादा देव दर्शन करके , सब दुखड़े मिट जाते है झोली उनकी भर जाती , जो इनके आते है
क्यों आ के रो रहा है, गोविन्द की गली में। हर दर्द की दवा है, गोविन्द की गली में॥ तू
मेरा आपकी दया से सब काम हो रहा है।करते हो तुम कन्हिया मेरा नाम हो रहा है॥ पतवार के बिना
साहिब दी मैं मंगती आ मैं होर सहारा की करना, कठपुतली आ मैं साहिब दी साहिब ही नचाई जांदा है