विविध भजन (Vividh Bhajan)

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ओ जी ओ पाबूजी थोरी

ओ जी ओ पाबूजी थोरी केसर घूघरिया या गमक्कावे ओ पाबूजी, आ तो भगतों रे हित कारणे , पाबूजी भुरजाला

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सूर्य देव चालीसा

॥दोहा॥ कनक बदन कुण्डल मकर, मुक्ता माला अङ्ग, पद्मासन स्थित ध्याइए, शंख चक्र के सङ्ग॥ जय सविता जय जयति दिवाकर,

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