
सत्संग कीर्तन करले जिन्दे मेरे
सत्संग कीर्तन करले जिन्दे मेरे जे भव सागर पार लंगना, कई तर गे गुरा ने कई तारे जिह्ना ओह हरी

सत्संग कीर्तन करले जिन्दे मेरे जे भव सागर पार लंगना, कई तर गे गुरा ने कई तारे जिह्ना ओह हरी

संतन के संग लाग रे, संतन के संग लाग रे, तेरी भली बनेगी संतन के संग हंसन की गति हंस

रूखी मिले चाहे रोटी मुझे कोई गम नहीं, रखना सुखी परिवार मेरा विनती है बस यही, सिर पर हो न

हे प्रभु राह दिखाओ अब तो मंझधार में नईया डूब रही पतवार बनो भव पार करो हमें राह ना कोई

तेरी नेकी बदी ना प्रभु से छुपी सब देख रहा है भगवान मत भूल अरे इंसान तू है दो दिन

देवा, बाबोसा चूरू वाले, भक्तो के है रखवाले, रिम झिम उतारे तेरी आरती, बाबोसा, रिम झिम उतारे तेरी आरती सिर

माँ की ममता माँ से मांगे, मुझे पुत्र मिले,श्रवण की तरह, और भाभी मांगे देवर, लक्ष्मण की तरह, गुरु बिन

हे गोरी गोगा जी के द्वार चले अब के बोलो संग, बलम जी हो जा बेडा पार चले मेरे मन

साडा पीरा ने चल्या कारोबार भगतो, ओह्दी रेहमत ने साहनु दिता तार भगतो, मेरा काका भी है भेज दिता बाहर

हंसा ये पिंजरा नहीं तेरा, कंकर चुन चुन महल बनाया, लोग कहे घर मेरा, ना घर तेरा ना घर मेरा,