
देख दुखो का वेष धरे मैं नहीं डरूँगी तुमसे, नाथ!
देख दुखो का वेष धरे मैं नहीं डरूँगी तुमसे, नाथ!जहाँ दुःख वहाँ देख तुम्हें मैं पकडूँगी जोरों के साथ॥नाथ! छिपा

देख दुखो का वेष धरे मैं नहीं डरूँगी तुमसे, नाथ!जहाँ दुःख वहाँ देख तुम्हें मैं पकडूँगी जोरों के साथ॥नाथ! छिपा

सांसो का क्या ठिकाना रुक जाए चलते चलते, प्राणो की रौशनी भी भुज जाए चलते चलते, जीवन है सपन जैसा

आ गया मैं डेरे साई जी मैं तेरे, दोवे हाथ जोड़ एहो लाइ बैठा आस जी, साई जी बनालो मैनु

मैं दीवानी हाँ लाडी सरकार दी, लोकी मेनू कमली कहंदे, तन मन लाया नाल तेरे दुःख सब दे सेहन्दे, मैं

क्यों पीवे तू पानी हंसिनी,क्यों पीवे तू पानी, सागर खीर भरा घट भीतर, पीयो सूरत तानी हंसिनी, क्यों पीवे तू

जिंदगी है मगर पराई है लोग कांटो की बात करते है हमने फूलों से चोंट खाई है अच्छे अच्छो

कोई मेरा क्या करैगा रे, साई तेरा नाम रटूँगा कोई मेरा क्या करैगा रे, साई तेरा नाम रटूँगा नगरी के

रख ज्योतिन वारे ते ,पांणे पूरी कंदो आ मुंहिंजो लाल, लजपाल,रखपाल सभजो । रख ज्योतिन——— काई मुसीबत ,अचे जे अगिया

माटी कहे कुम्हार से, तू क्या रोंदे मोहे, एक दिन ऐसा आएगा, मैं रोंदूगी तोहे । आये हैं तो जायेंगे,

ऐ मालिक तेरे बन्दे हम, ऐसे हो हमारे करम, नेकी पर चले, और बदी से टलें, ताकि हस्ते हुए निकले