धनवानों का मान है जग में निर्धन का कोई मान नहीं
धनवानों का मान है जग में निर्धन का कोई मान नहीं ऐ मेरे मालिक मुझे बता दे निर्धन क्या इंसान
धनवानों का मान है जग में निर्धन का कोई मान नहीं ऐ मेरे मालिक मुझे बता दे निर्धन क्या इंसान
तर्ज- में से बिना तेना साकी से…. जर से जमी से ना जन्नत से ना जमाने से दिल बहलता है
आया दीपावली तोहार के दीपक जलाओ रे, पहले मंदिर में दीप धरे गे, लक्ष्मी गणेश जी की पूजा करे गे,
देख तेरे संसार की हालत क्या हो गयी भगवान, कितना बदल गया इंसान..कितना बदल गया इंसान, सूरज ना बदला,चाँद ना
मीरा ऐ तेरो बाजै इकतारो, साधा की बाजै ऐ खड़ताल , मीरा ऐ बाई नाचण लागी, संगड़े, महैं नाचै मेरो
क्या ढूंढे मन मेरा साधू क्या ढूंढे मन मेरा, भटक गए सब लोग सयाने करत करत इक फेरा, लाख यत्न
पवित्र मन रखो पवित्र तन रखो, पवित्रता मनुष्यता की शान है, जो मन कर्म वचन से पवित्र है, वो चरित्र
सइयो रल कत लिओनी, फेर मानुष नहियो आवणा, बहनों मिल कत लिओनी,फेर त्रिंजन कद लाणा, सइयो रल कत लिओनी, फेर
म्हाने जाम्भोजी दीयो उपदेश भाग म्हारो जागियो मरूधर देश समराथल भूमि गुरूजी दियो उपदेश पीपासर में प्रकट भया आय सुधारयो
कलयुग ऐ कैसी उलटी गंगा भहा रहा है, माता पिता को श्रवण ठोकर लगा रहा है, कलयुग ऐ कैसी उलटी………