पिछम धरा सू म्हारा पीर जी पधारिया
पिछम धरा सू म्हारा पीर जी पधारिया घर अजमल अवतार लियो लाछा बाई सुगना बाई करे हर की आरती हर
पिछम धरा सू म्हारा पीर जी पधारिया घर अजमल अवतार लियो लाछा बाई सुगना बाई करे हर की आरती हर
जो मात पिता से जोड़े प्रीत, उसे भगवन मिल जाते है, होती जग में उसी की जीत, होती जग में
इंसान इंसान को क्या देता है करम तेरे अच्छे हो तो वो बिन मांगे सब देता है करम खोटे तो
ऊं है जीवन हमारा, ऊं प्राणाधार है ऊं है करता विधाता, ऊं पालनहार है। ऊं सब का पुज्य है, हम
रही जिन्दगी तो मिलेगे दौंबारा, मिलन रात भर का हमारा तुम्हारा, मात पिता और भाई वहन, सत्संग मे तुम आते
जानौ है… सखि देश पिया के।मैं रह गई ….अवशेष पिया के। प्यासी अंखियाँ तरस रही हैं।सावन-भादों बरस रही हैं।फिर से
मन के बहुत कुरंग हैं, छिन्न छिन्न बदले सोई, एक ही रंग में जो रहे, ऐसा विरला कोई l साधु
जानो पड़सी रे पंछी, यह बागा में छोड़, एक दिन जाना पड़सी रे किया घोंसला चुनचुन तिनका, पर तेरा विश्वास
मेरा अवगुण भरा शरीर, कहो ना कैसे तारोगे कैसे तारोगे प्रभु जी मेरो, प्रभु जी कैसे तारोगे मैली चारद मैली
खेरतपाल दा कहंदा गुलाम आ गया, खेतरपाल नल लाइया मजा आ गया, खेरतपाल दा कहंदा गुलाम आ गया, बाबा साहिब