कमइले हीरा चाहे मोती
कमइले हीरा चाहे मोती कफ़न में जेब नहीं होती, चाहे तू पी फिरिज को पानी, चाहे तू पी ले नल
कमइले हीरा चाहे मोती कफ़न में जेब नहीं होती, चाहे तू पी फिरिज को पानी, चाहे तू पी ले नल
जय चित्रगुप्त यमेश तव, शरणागतम् शरणागतम्। जय पूज्यपद पद्मेश तव, शरणागतम् शरणागतम्॥ जय देव देव दयानिधे, जय दीनबन्धु कृपानिधे। कर्मेश
थारे हाथां में ओ मइया म्हारे मनड़े री डोर थारे हाथां में .. कस के रखियो डोर पकड़के डोर बड़ी
बूटी हरि के नाम की सबको पिलाके पी । चितवन को चित के चोर से चित को चुराके पी ॥
श्री दादा देव दर्शन करके, सब दुखड़े मिट जाते है, झोली उनकी भर जाती , जो इनके आते है, रे
आज के इस इंसान को यह क्या हो गया इसका पुराना प्यार कहाँ पर खो गया कैसी यह मनहूस घडी
छड्ड जाना दुनियां रंगीला बाग़ इक दिन छड जाना, धिया प्यारियां पुत्र प्यारे, सबना ते प्यारे घरवार इक दिन छड
कर चेत मेरी मइया क्यों देर लगावे है, कद को थारे द्वार खड़े इब क्यों तरसावे है, तू गांव थांदड़
क्यूँ गुमान करे काया का मन मेरे एक दिन छोड़ कर ये जहाँ जाना है नाम गुरु का सुमिर मन
एडियाँ गुहद्दियाँ छावा जग ते लभदियाँ नही, तुर जावन इक वार ते मावा लभदियां नही, मेरी माँ मेरी माँ मेरी