
कर्मो के लेखो से कब तक
कर्मो के लेखो से कब तक तुम खुद को बचा ना पाओगे एक न एक दिन तो कर्मो लेखो को

कर्मो के लेखो से कब तक तुम खुद को बचा ना पाओगे एक न एक दिन तो कर्मो लेखो को

आ रे बीरा पैदा एक शरीर के किस्मत न्यारी न्यारी रे – 2 1. आ रे बीरा तू तो खेलन

मुंडे कुड़ी दे भेद भाव नु मिटाओ जी, अपनी लाडो नु आगे तक पढाओ जी नाम करे रोशन गल पल्ले

बाबा विश्वकर्मा जैसी रचना विश्व में कोई करता नहीं है बाबा विश्वकर्मा जैसी रचना विश्व में कोई करता नहीं है

जो सूरज को पूजे उसका हो वेडा पार, श्रिष्टि का वो सर्जन हार सब का है वो पालनहार, करता है

तर्ज – तेनु इतना में प्यार करा चुरू धाम जो में आ गया बाबोसा में तेरा हो गया

उड़ ज्या नींद भंवर सैलानी, थोड़े से जीण के खातिर कांयी सौवे। गहरा गहरा होद भरया घट भीतर , नाडुली

ये मकान सुना सुना लागे राम के बिना राम के बिना हनुमान के बिना ये मकान सुना सुना लागे राम

पिछम धरा सू म्हारा पीर जी पधारिया घर अजमल अवतार लियो लाछा बाई सुगना बाई करे हर की आरती हर

जो मात पिता से जोड़े प्रीत, उसे भगवन मिल जाते है, होती जग में उसी की जीत, होती जग में