
गंगा जमुना के संगम पर
गंगा जमुना के संगम पर मेला लगा अपार है, लगा के डुबकी पाप काटता देखो यह संसार है, है पतित

गंगा जमुना के संगम पर मेला लगा अपार है, लगा के डुबकी पाप काटता देखो यह संसार है, है पतित

बीरा बेगा आईज्यो जी, राम दे बेगा आईज्यो जी, थारी सुगणा जोवे बाट, रामदेव बेगा आईज्यो जी, अळगी म्हाने परणाई,

प्रभु जी दया करके, मुझको अपना लेना, मैं शरण पड़ा तेरी, चरणों में जगह देना, करुणा निधि नाम तेरा, करुणा

ना धन दौलत मांगू ना मांगू राज खजाना, अमृत घुट पिला गंगा माँ चरणों में तेरी ठिकाना, ना धन दौलत

मैं सीखी दा नही छड़ना राह, आरिया तू चीरी जाई वे, आरिया तू चीरी जाई वे, आरिया तू चीरी जाई

मुझे मेरे मस्ती कहा लेके आयी सिवा मेरे अपने और कछु नाही अलख के अमल पर चढ़े योगियों को जणायॆ

मीठी लागे, मीठी लागे, मीठी म्हारा सांवरा भजनाँ सँ लागैे मीरा मीठी रे उदयपुर राणा, भजनाँ सँ लागैे मीरा

बाबा मुझे दर पे बुलाना, तेरा धाम रूनिचा है सुहाना । मैं हर साल सोचूं मैं जाऊं रूनिचा, मगर कोई

कमइले हीरा चाहे मोती कफ़न में जेब नहीं होती, चाहे तू पी फिरिज को पानी, चाहे तू पी ले नल

जय चित्रगुप्त यमेश तव, शरणागतम् शरणागतम्। जय पूज्यपद पद्मेश तव, शरणागतम् शरणागतम्॥ जय देव देव दयानिधे, जय दीनबन्धु कृपानिधे। कर्मेश