
थारे हाथां में ओ मइया म्हारे मनड़े री डोर
थारे हाथां में ओ मइया म्हारे मनड़े री डोर थारे हाथां में .. कस के रखियो डोर पकड़के डोर बड़ी

थारे हाथां में ओ मइया म्हारे मनड़े री डोर थारे हाथां में .. कस के रखियो डोर पकड़के डोर बड़ी

बूटी हरि के नाम की सबको पिलाके पी । चितवन को चित के चोर से चित को चुराके पी ॥

श्री दादा देव दर्शन करके, सब दुखड़े मिट जाते है, झोली उनकी भर जाती , जो इनके आते है, रे

आज के इस इंसान को यह क्या हो गया इसका पुराना प्यार कहाँ पर खो गया कैसी यह मनहूस घडी

छड्ड जाना दुनियां रंगीला बाग़ इक दिन छड जाना, धिया प्यारियां पुत्र प्यारे, सबना ते प्यारे घरवार इक दिन छड

कर चेत मेरी मइया क्यों देर लगावे है, कद को थारे द्वार खड़े इब क्यों तरसावे है, तू गांव थांदड़

क्यूँ गुमान करे काया का मन मेरे एक दिन छोड़ कर ये जहाँ जाना है नाम गुरु का सुमिर मन

एडियाँ गुहद्दियाँ छावा जग ते लभदियाँ नही, तुर जावन इक वार ते मावा लभदियां नही, मेरी माँ मेरी माँ मेरी

ओम जय परशुधारी स्वामी जय परशुधारी सुर नर मुनिजन सेवत श्रीपति अवतारी ओम जय परशुधारी स्वामी जय परशुधारी जमदग्नी सुत

क्यों गरव करे इस काया का तेरी काया रहेगी ना अरे इंसान काया तेरी फुल समान क्यों गरवाया है नादान