
तू कैसा है नादान
किताबे खूब मिलती है मगर चिंतन नहीं मिलता, जिसे है मौत की है चाहत उसे जीवन सदा मिलता, बावरे कौन

किताबे खूब मिलती है मगर चिंतन नहीं मिलता, जिसे है मौत की है चाहत उसे जीवन सदा मिलता, बावरे कौन

हे परमेश्वर हे मुक्तेश्वर , वरद हस्त से भक्ति दो ,तेरा अवलोकन सदा करुं , परमेश्वर ऐसी युक्ति दो !तेरे

हारी हु दर्द की मारी हु किस को सुनाऊ मैं अपनी कहानी दुनिया न समजा न अपनों ने जाना न

अपने चरणों की भक्ति भगवान् मुझे दे दो ।मैं भुला हुआ राही, नहीं कोई सहारा है ।मझदार में हैं कश्ती,

अब सौंप दिया इस जीवन का, सब भार तुम्हारे हाथों में।है जीत तुम्हारे हाथों में, और हार तुम्हारे हाथों में॥मेरा

ठहरी नहीं ये उम्र भी ढलती चली गयी, आदत पुरानी लीक पे चलती चली गयी, हम चाहते थे होवे हरी

निन्द्रा बेच दू कोई ले तो, रामो राम रटे तो तेरो मायाजाल कटेगी भाव राख सतसंग में जावो, चित में

तू सोच जरा इंसान तेरी क्या हस्ती है, तू दो दिन का मेहमान जगत में करता फिर घुमान, तेरी क्या

मैया अमरकंट वाली तुम हो मा भोली भाली तेरे गुण गाते है साधु मा बजा बजा के ताली भूरे मगर

राज़ी प्रभु दी राजा दे विच रहिए, नज़ारा लईए ओहदी मौज दा। ओहदी मार वी प्यार नाल सहिए, नज़ारा लईए