बच्चे मन के सच्चे
बच्चे मन के सच्चे सारी जग के आँख के तारे, ये वो नन्हे फूल हैं जो भगवान को लगते प्यारे,
बच्चे मन के सच्चे सारी जग के आँख के तारे, ये वो नन्हे फूल हैं जो भगवान को लगते प्यारे,
थारी उमर रा रा गिणयोडा दिनडा जावे रे, मिजाजी थोडो राम ने सुमिर ले रे, चार दिनां री बंदा जोश
की की ने दुनिया दे मंजर ओ खाली हाथी गया सिकंदर, जग नु जीतन वालियां नु पाई अंत हारनी बाजी,
पीवजी मन मत करजो उदास , सदा तुम हासी न रहजो जी । म्हारा मन म खुशी की बड़ी आस
एक तिनके के जैसा बिखर जाएगा पाप करते हो जिस ज़िंदगी के लिए शाम होते ही सूरज, भी ढल जाएगा,
ना ये तेरा ना ये मेरा मंदिर है भगवान का पानी उसका भूमि उसकी सब कुछ उसी महान का, ना
बेटी को ठुकराने वालो, सुनलो तुम्हे सुनाता हु, इक बेटी की जीवन गाथा आज तुम्हे बतलाता हु, बेटी का नसीब
डूबतो को बचा लेने वाले, मेरी नैया है तेरे हवाले । लाख अपनों को मैंने पुकारा, सब के सब कर
नावड्या रे नाव म्हारी रे संभाल नई तो भवसागर म डूबी जायग भवसागर में डोल रही नैया तुम बिना म्हारो
बालकपन में साथ पढ़ै थे या बात पुराणी के जाणै धनवाले ना मीत किसी के प्रीत निभाणी के जाणै बालकपन