
त्रिवेणी में भक्ति भाव से
त्रिवेणी में भक्ति भाव से आकर डुबकी लगाए यो, महा कुम्ब में पुण्य कमा कर भाव सागर तर जाये जो,

त्रिवेणी में भक्ति भाव से आकर डुबकी लगाए यो, महा कुम्ब में पुण्य कमा कर भाव सागर तर जाये जो,

कर प्यार हर प्राणी से है प्यार का जमाना, एसी और न कमाई ऐसा और न खजाना, बात खो लिया

एक दाता भगवान् है जग में एक दाता भगवान्, छोटा सा दान कर के तू प्राणी काहे करे अभिमान, एक

कर भजन हर श्वास रे मन तू , कर भजन हर श्वास रे हो थारो जीवन बणग बड़ो खास रे

हरी हरी वसुंधरा पे नीला नीला ये गगन के जिस पे बादलों की पालकी उड़ा रहा पवन दिशाएं देखों रंग

ओ पालनहारे निर्गुण और न्यारे, तुमरे बिन हमरा कौनो नहीं | हमरी उलझन सुलझाओ भगवन, तुमरे बिन हमरा कौनो नहीं

धन धन सिंगाजी सुरमा जिन्न चवर बुहारया गुरू खेत हो कलांका सी बाँध्या झूलना अपना साहेब जी से हेत हो

झिकझोर करे बदरा रातें के रात ई बदरा है जन्म के बैरी टिप टिप बरसे ई माने न बात, बदरा

सच्चे मन से पूर्वजो पे शरधा दिखाइए, अपने पितरो का पावन वरदान पाइये, पितर खुश होंगे तो दुःख मिट जायेगे,

पीले पीले यह रास मीठा है राम का, जो रस पीने से जुबा पे नाम हो घनश्याम का ।