
आनंद मंगलाचार सिंगाजी घर आनंद मंगलाचार
आनंद मंगलाचार सिंगाजी घर आनंद मंगलाचार निर्गुण का गुण कसा हम गांवा रे गुण को छे अंत नि पार सिंगाजी

आनंद मंगलाचार सिंगाजी घर आनंद मंगलाचार निर्गुण का गुण कसा हम गांवा रे गुण को छे अंत नि पार सिंगाजी

“ਬੇ ਬੋਲਦੇ ਦੀ ਤੈਨੂੰ ਖਬਰ ਹੈ ਨਾਹੀਂ, ਜੇਹੜਾ ਵਿਚ ਤੇਰੇ ਪਿਆ ਬੋਲਦਾ ਏ ਵਸੇ ਵਿਚ ਤੇਰੇ ਤੇ ਫਿਰੇ ਬਾਹਰ

हट जा निंद्रा मोत बैरण मोहे साहिब ने रटवा दे , क्ई जन्म रा पाप कियोड़ा आज भजन से कटबा

कामदगिरि की करो परिक्रमा,ध्यान लगा भगवान का, सुफल मनोरथ हो जाएं सब ,दर्शन हो श्री राम का , कामदगिरि की…….

मुक्ति का कोई तूँ जतन करले रे,रोज थोड़ा थोड़ा हरी का भजन करले ।मुक्ति का कोई तूँ …भक्ति करेगा तो

आपकी शरण में आया,अपनालो दाता मेरे,भटक रहा था जिसके लिये,मिल गए मालिक मेरे ,आप मेरी जिन्दगी हो,मै आपका जीव हूँ

गंगाराम देवाय नमः ।। गंगाराम देवाय नमः ।। गंगाराम देवाय नमः ।। गंगाराम देवाय नमः ।। हे कलिमलहारी ! विष्णु

क्या जरूरत उसे पूजा और पाठ की, सेवा करता है जो अपने माँ बाप की, उसको ईश्वर की किरपा मिलती

मैं कम करदी रेहनी आ मेरी सूरत पीरा दे विच रेहँदी, पीरा दी दरगाह ते जावा झाड़ू फेरा पोचे लावा,

समय को भरोसो कोनी कद पलटी मार जावे, कदीकदी भेडिया से सिंह हार जावे गुरु वशिष्ट महा मुनि ज्ञानी लिख