प्रथम भगति संतन कर संगा
प्रथम भगति संतन कर संगा | दूसरि रति मम कथा प्रसंगा || गुर पद पंकज सेवा तीसरि भगति अमान |
प्रथम भगति संतन कर संगा | दूसरि रति मम कथा प्रसंगा || गुर पद पंकज सेवा तीसरि भगति अमान |
जरे जरे में हैं झांकी भगवान की, किसी सूझ वाली आँख ने पहचान की । नामदेव ने पकाई, रोटी कुत्ते
हम सब मिलकर आये दाता तेरे दरबार, भरदे झोली सबकी, तेरे पूर्ण भंडार, लेकर दिल मे फरियाद,करते हम तुमको याद,
हर देश में तू, हर भेष में तू, तेरे नाम अनेक तू एक ही है, तेरी रंग भूमि यह विश्व
पिया तोड़ दो बंधन आज,की अब रूह मिलना चाहती है,पिया दिल की यही आवाज,की अब रूह चलना चाहती है,पिया तोड़
सुख-वरण प्रभु, नारायण, हे, दु:ख-हरण प्रभु, नारायण, हे,तिरलोकपति, दाता, सुखधाम, स्वीकारो मेरे परनाम,प्रभु, स्वीकारो मेरे परनाम…मन वाणी में वो शक्ति
सुख-वरण प्रभु, नारायण, हे, दु:ख-हरण प्रभु, नारायण, हे,तिरलोकपति, दाता, सुखधाम, स्वीकारो मेरे परनाम,प्रभु, स्वीकारो मेरे परनाम…मन वाणी में वो शक्ति
ऐ मेरे स्वामी अंतरयामी नित जपते तेरा नामतेरे भरोसे छोड़ दी नैया तू जाने तेरा कामऐ मेरे स्वामी अंतरयामीजीवन के
बाबोसा ,चुरू वाले , भक्तो के , रखवाले जो द्वार आया , उसी ने तेरा प्यार पाया सच्चे दिल से
मानव किसका अभिमान करे दिन चढ़ते उतरते आते है, किस्मत जो साथ नहीं देती,पत्थर भी उच्छल कर आते है,