म्हारा संत दवारे आया रे भाई जोड़या दोनो हाथ
म्हारा संत दवारे आया रे भाई जोड़या दोनो हाथ जोड़या दोनो हाथ साधु भाई करु ज्ञान की बात सतगुरु आया
म्हारा संत दवारे आया रे भाई जोड़या दोनो हाथ जोड़या दोनो हाथ साधु भाई करु ज्ञान की बात सतगुरु आया
अबिनासी दुलहा कब मिलिहो भगतन के रछपाल जल उपजी जल ही सो नेहा, रटत पियास पियास , मैं ठाढ़ी बिरहन
सत्कर्म करने वाला न डरा है ना डरेगा चाहे जहाँ करो तू करना है अंत तुझको तृष्णा का समण्डार न
हाथ करताल तंबूरो बजाई रई , साधु न की संग म मीरा भजन करी रई माथा की बिंदिया महल म
बीत गये दिन भजन बिना रे, भजन बिना रे भजन बिना रे, बीत गये दिन भजन बिना रे, बाल अवस्था
त्रेता में पधारे श्री राम जी, और द्वापर में आएं घनश्याम जी । इस कलियुग में भगतों के खातिर झुंझुनूं
न धाम धरती न धन चाहता हु , किरपा का तेरी एक कण चाहता हु, जपे नाम तेरा सदा एसा
तेरा हो जग भव से बेडा पार तू मात पिता को करले नमन करले नमन उनके छु ले चरण, तेरा
भज ले प्राणी रे अज्ञानी दो दिन की जिंदगानी, रे कहाँ तू भटक रहा है यहाँ क्यों भटक रहा है,
बाबा जी खोलीवाला मनमोहन भोला भाला मैं तो हुई रै कुर्बान देखि है जबसे शान पर्वत के ऊपर डोले बालक