कोई लाख करे चतुराई कर्म का लेख मिटे ना रे भाई
कोई लाख करे चतुराई, कर्म का लेख मिटे ना रे भाई । ज़रा समझो इसकी सच्चाई रे, कर्म का लेख
कोई लाख करे चतुराई, कर्म का लेख मिटे ना रे भाई । ज़रा समझो इसकी सच्चाई रे, कर्म का लेख
चिंता न कर चिंता न कर खाली गया सिकंदर, मन चंचल है तू हस ले कभी रोते नहीं सिकंदर, चिंता
बिन पैसे के दुनिया में कोई पूछे जात नही, अरे बिन पैसे के दुनिया में आज बनती बात नही, क्यों
अरे दिल ग़ाफ़िल गफलत मत कर, इक दिन जम तेरे आवेगा | सौदा कारन को या जग आया, पूँजी लाया,मूल
जन्म दिन आया है आज वाल्मीकि भगवान का, भागा वाली पुनेया आई हर कोई एह गल जान दा, जन्म दिन
प्रभु जी दया करो । मन मे आन बसो ॥ तुम बिना, लागे सूना । खाली घट मे प्रेम भरो
पिता रोटी है पिता कपड़ा है पिता मकान है, पिता ननेसे परिन्दे का बड़ा आसमान है, पिता है तो हर
चलना है दूर मुसाफिर,काहे सोवे रे, काहे सोवे रे..मुसाफिर! काहे सोवे रे, चेत-अचेत नर सोच बावरे, बहुत नींद मत सोवे
मिलता है सच्चा सुख केवल भगवान तुम्हारे चरणों मे | यह विनती है पल पल छिन छिन, रहे ध्यान तुम्हारे
लक्ष्मी जैसी हमरी दुल्हनियां, दुल्हनियां बिन रहा जाये न, राहा जाये न राहा जाये न, बिरहा का दुखड़ा सहा जाये