हो जड़ चेतन के माली
हो जड़ चेतन के माली – तनै करे पूतले त्यार तेरै तै हाथ मँ ताली। जड़ चेतन का बीज माली,
हो जड़ चेतन के माली – तनै करे पूतले त्यार तेरै तै हाथ मँ ताली। जड़ चेतन का बीज माली,
जय अजमल लाला,प्रभू जय अजमल लाला। भक्त काज कलयुग में,लीन्हो अवतारा॥ ॐ जय अजमल लाला अश्वन की असवारी सोवे, केशरिया
मिले हैं जो चार दिन हँसके गुजार ले ना मिले कहीं -तो- खुशियाँ किसी से उधार ले मिले हैं जो
जाएगा जब जहाँ से, कुछ भी ना पास होगा । दो गज कफ़न का टुकड़ा तेरा लिबास होगा ॥ काँधे
मजहब की दीवारों से ऊंचा उठ कर देखे, वो हर एक सेह में हर इक रूप में मुझको ही तू
कोटड़े ले चालो मन्ने बाबा के ले चालो, कोटड़े ले चालो मन्ने धणिया के ले चालो, कोटडा को बाबो अपने
दृग उरझत टूटत कुटुम, जुरत चतुर चित प्रीत, परत गाँठ दुरजत हिये, दई नई यह रीति , मुझसे अधम अधीन,
मनवा बसेला मईया तिहारो लहरिया से हियरा में उठता हिलोर हो माई तोहर झग मग पनिया ल गंगा हो जमुनवा
पापी के मुख से राम कोणी निकले , केशर ढुल गई गारे में । मिनख जमारो बन्दों एल्यो मत खोई
जीवन यूँ ही बीत न जाए जग में पशु भी खा के सोते स्वार्थ पूर्ति में स-कुशल होते वो मानव