दया कर दान विद्या का हमे परमात्मा देना
दया कर दान विद्या का हमे परमात्मा देना, दया करना हमारी आत्मा में शुद्धता देना । हमारे ध्यान में आओ,
दया कर दान विद्या का हमे परमात्मा देना, दया करना हमारी आत्मा में शुद्धता देना । हमारे ध्यान में आओ,
गम के मारे हम दुखायारे सारे रे सारे रे, घर से निकले मज़बूरी में हम मजदुर वेचारे गम के मारे
जीते भी लकड़ी मरते भी लकड़ी, देख तमाशा लकड़ी का, क्या जीवन क्या मरण कबीरा, खेल रचाया लकड़ी का, जिसमे
अल्ला तरो नाम, इश्वर तेरो नाम | सब को सन्मति दे भगवान् || मांगो का सिंधूर ना छूटे | माँ
तुम मुझमें प्रिय! फिर परिचय क्या तारक में छवि, प्राणों में स्मृति पलकों में नीरव पद की गति लघु उर
ज्ञान की बात जो हो नाम तेरा आये, लव्जो में क्या व्यान करू नाम तेरा आये , ज्ञान की बात
मनुष्य जन्म अनमोल रे मिटटी में न रोल रे, अब जो मिला है फिर न मिलेगा- कभी नही कभी नही
पिता रोटी है पिता कपड़ा है पिता मकान है, पिता ननेसे परिन्दे का बड़ा आसमान है, पिता है तो हर
मैं दास मन का, हूँ मन का पुजारी । मेंरा जन्म लेना विफल हो गया ॥ हुआ भाव करलूं, तपस्या
जगी जीवनाचे सार घ्यावे जाणूनी सत्वर॥ जैसे ज्याचे कर्म तैसे फळ देतो रे ईश्वर॥ क्षणीक सुखासाठी अपुल्या, कुणी होतो नितीभ्रष्ट,