
हँसके गुजार ले
मिले हैं जो चार दिन हँसके गुजार ले ना मिले कहीं -तो- खुशियाँ किसी से उधार ले मिले हैं जो

मिले हैं जो चार दिन हँसके गुजार ले ना मिले कहीं -तो- खुशियाँ किसी से उधार ले मिले हैं जो

जाएगा जब जहाँ से, कुछ भी ना पास होगा । दो गज कफ़न का टुकड़ा तेरा लिबास होगा ॥ काँधे

मजहब की दीवारों से ऊंचा उठ कर देखे, वो हर एक सेह में हर इक रूप में मुझको ही तू

कोटड़े ले चालो मन्ने बाबा के ले चालो, कोटड़े ले चालो मन्ने धणिया के ले चालो, कोटडा को बाबो अपने

दृग उरझत टूटत कुटुम, जुरत चतुर चित प्रीत, परत गाँठ दुरजत हिये, दई नई यह रीति , मुझसे अधम अधीन,

मनवा बसेला मईया तिहारो लहरिया से हियरा में उठता हिलोर हो माई तोहर झग मग पनिया ल गंगा हो जमुनवा

पापी के मुख से राम कोणी निकले , केशर ढुल गई गारे में । मिनख जमारो बन्दों एल्यो मत खोई

जीवन यूँ ही बीत न जाए जग में पशु भी खा के सोते स्वार्थ पूर्ति में स-कुशल होते वो मानव

होता वही है हे भगवन जो मंजूर आप को होता है किसी के कुछ भी चाहने से क्या होता है

सारी उम्र गवा लाई तू,जिन्दरिये कुझ न जहाँ विचो खटिया॥ क्यों करे तू मियाँ मियाँ.. मियाँ है दो पल दी