
मैं गुड़ियाँ तेरे आंगन की
मैं गुड़ियाँ तेरे आंगन की, जाऊगी बैठ के डोली साजन की, मैं गुड़ियाँ तेरे आंगन की, मैं तेरी द्रोपती तू

मैं गुड़ियाँ तेरे आंगन की, जाऊगी बैठ के डोली साजन की, मैं गुड़ियाँ तेरे आंगन की, मैं तेरी द्रोपती तू

गौ हत्यारे मरे गे सारे ना देंगे धमकी न डांटे गे हम, गाये काटेगा जो उसका काटेंगे हम, हिन्दुओ की

बेटी चली है ससुराल , ओ ओ अपने बाबुल की होती सदा लाडली तीन कुलों की लाज है बेटी अब

बेटा थारी मां समझावे रे, चेत सके तो चेत मनख पणो फेर नही आवे रे, नो दस महीना जुल्यो गर्भ

मेरे बाबा मोहन राम, हम शरण तुम्हारी आये है बाबा कलयुग के अवतारी है, नीले की करे सवारी है ,

माला फेरो ने राजी राजी मारा भुड़ा माजी , रोटी खावे तो मुखड़ो जी दुखे, हलवो खावे तो घणा राजी,

मन रे कर सत्संग सुख भारी नारद की काटी चौरासी ,कालू कीर की राय, लादु अजमल तीर गया ,पुत्र नारायण

दया कर दान विद्या का हमे परमात्मा देना, दया करना हमारी आत्मा में शुद्धता देना । हमारे ध्यान में आओ,

गम के मारे हम दुखायारे सारे रे सारे रे, घर से निकले मज़बूरी में हम मजदुर वेचारे गम के मारे

जीते भी लकड़ी मरते भी लकड़ी, देख तमाशा लकड़ी का, क्या जीवन क्या मरण कबीरा, खेल रचाया लकड़ी का, जिसमे