कार्तिक माह माहात्म्य अध्याय – 25*
सुख भोगे जो कथा सुने विश्वास पच्चीसवां अध्याय लिखे यह दास * तीर्थ में दान और व्रत आदि सत्कर्म करने
सुख भोगे जो कथा सुने विश्वास पच्चीसवां अध्याय लिखे यह दास * तीर्थ में दान और व्रत आदि सत्कर्म करने
सुख भोगे जो कथा सुने विश्वास चौबीसवां अध्याय लिखे यह दास राजा पृथु बोले :-हे मुनिश्रेष्ठ! आपने तुलसी के इतिहास,
सुख भोगे जो कथा सुने विश्वास बाइसवां अध्याय लिखे यह दास** *राजा पृथु ने नारद जी से पूछा :–* हे
सूखे भोगे जो कथा सुने विश्वास तेइसवा़ अध्याय लिखे यह दास** *नारद जी बोले: –* हे राजन! यही कारण है
अब राजा पृथु ने पूछा–हे देवर्षि नारद! इसके बाद युद्ध में क्या हुआ तथा वह दैत्य जलन्धर किस
उस समय शिवजी के गण प्रबल थे और उन्होंने जलन्धर के शुम्भ-निशुम्भ और महासुर कालनेमि आदि को
सुख भोगे जो कथा सुने विश्वास सोलवा अध्याय लिखे यह दास राजा पृथु ने कहा:- हे नारद जी ! यह
सुख भोगे जो कथा सुने विश्वास अठारवा अध्याय लिखे यह दास अब रौद्र रूप महाप्रभु शंकर नन्दी पर चढ़कर युद्धभूमि
सुख भोगे जो कथा सुने विश्वास *राजा पृथु ने नारद जी से पूछा :–* हे देवर्षि! कृपया आप अब मुझे
. तब उसको इस प्रकार धर्मपूर्वक राज्य करते हुए देख देवता क्षुब्ध हो गये। उन्होंणे देवाधिदेव शंकर का