जीवन के दो पहलु
मानव जीवन के दो पहलु है और नहीं। व्यक्ति है में जीवन जीता है वह सकरात्मक सोच और दृढ निश्चय
मानव जीवन के दो पहलु है और नहीं। व्यक्ति है में जीवन जीता है वह सकरात्मक सोच और दृढ निश्चय
शान्ति सबसे बड़ा धन है। हम जीवन भर भटकते रहते हैं। हमे शान्ति नहीं मिलती है। आज हम इस विकट
प्राणी संसार के सब सुख भोगता है। फिर भी तृप्त नहीं होता क्यों कि संसारिक सुख आत्मा को शांति प्रदान
*कुछ लोग संसार में ईमानदारी से जीते हैं ,कम मिलता है। झूठे बेईमान लोग जैसे तैसेछल कपट से चालाकी से
एक बार संयुक्त राष्ट्र में कश्मीर को ले कर चर्चा चल रही थी।एक भारतीय प्रवक्ता बोलने के लिए खड़ा हुआ।
*हम दो भाई एक ही मकान में रहते हैं, मैं पहली मंजिल पर और भैया निचली मंजिल पर। पता नही
संसार में सम्बन्धो में जो प्रेम दिखाई देता है वह वह मोह का रूप है ।हर सम्बन्ध लेन देन पर
कई बार मन को समझाती हूं। नैन बन्द करके बैठ जाती हूं। और सोचती हूँ देख अब तेरी शरीर की
संतान की परवरिश किसी साधना से कम नहीं होती है…और…माता पिता की सेवा किसी भी आराधना से कम नहीं
मनुष्य का जीवन चक्र अनेक प्रकार की विविधताओं से भरा होता है जिसमें सुख- दु:खु, आशा-निराशा तथा जय-पराजय के अनेक