
भगवान नाथ का बन जाऊ मैं
सच्चे भक्त के दिल की एक ही पुकार होती है कि किस प्रकार मेरे स्वामी भगवान् नाथ का मै बन

सच्चे भक्त के दिल की एक ही पुकार होती है कि किस प्रकार मेरे स्वामी भगवान् नाथ का मै बन

एक बार वृन्दावन में हमारे मन में अकस्मात इच्छा हुई की हम गंगा स्नान करने जायें। सोमवती अमावस्या

शहर में मंदिर बनने का काम जोर शोर से चल रहा था.. लाखों की तादाद में लोग मंदिर समिति को

कृष्णनगर के पास एक गांव में एक ब्राह्मण रहते थे ।वे ब्राह्मण पुरोहिती का काम करते थे । एक दिन

आरति श्रीरामायण जी की । कीरति कलित ललित सिय पी की ॥ गावत ब्रह्मादिक मुनि नारद । बालमीक बिग्यान बिसारद

ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी जय जगदीश हरे |भक्त जनों के संकट, दास जनों के संकट,क्षण में दूर करे |

श्री अयोध्या जी में ‘कनक भवन’ एवं ‘हनुमानगढ़ी’ के बीच में एक आश्रम है जिसे ‘बड़ी जगह’ अथवा ‘दशरथ महल’

जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी।तुमको निशिदिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिवरी॥ऊं जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी।मांग सिन्दूर

ओम जय शिव ओंकारा स्वामी जय शिव ओंकारा ब्रह्मा विष्णु सदा शिव अर्द्धांगी धारा । ॐ जय शिव ओंकारा ॥

आरती कीजै हनुमान लला की। दुष्टदलन रघुनाथ कला की ॥ जाकें डर से गिरिवर काँपे । रोग दोष जाके निकट