
“सीया-रघुवर जी की आरती”
सीया-रघुवर जी की आरती, शुभ आरती कीजिये -२सीस मुकुट काने कुण्डल शोभे -२राम लखन सीय जानकी, शुभ आरती कीजियेसीया-रघुवर जी

सीया-रघुवर जी की आरती, शुभ आरती कीजिये -२सीस मुकुट काने कुण्डल शोभे -२राम लखन सीय जानकी, शुभ आरती कीजियेसीया-रघुवर जी

हे प्रभु प्राण नाथ हे परमात्मा मै तुम्हारे ह्दय के अन्दर में बैठ जाऊगी ।हे परमात्मा मैने तो अपना दिल

जय जय तुलसी मातासब जग की सुख दाता, वर दाताजय जय तुलसी माता सब योगो के ऊपर, सब रोगों

जिसे झुककर नमन करके चलना आ गया वही आत्म समर्पण कर सकता है। जो भगवान को भजते भजते गोण हुआ

ये प्रेम जीवन भर हंसाता है जीवन भर रूलाता है। प्रभु प्रेमी अपने प्रभु के चरणों में समर्पित हो जाता

मेरे प्रभु कब तुम मेरे सामने होंगे ।मै अपने आप को भुल जाऊंगी। शरीर शिथिल पङ जाएगा ।मै तुम्हारे चरणों

हे प्रभु भगवान मैं तुम्हें आंखों में बसा लूं दिल में बिठा लु। तुझसे प्रीत करलु तू मेरा स्वामी है

मेरे भगवान सजे संवरे हुए मुस्काते हुए पीत पिताम्बर में ऐसे लगते जैसे दिल चीरकर हृदय में समा जाएंगे। उनकी

दिल की तङफ जब बढ जाती है, तुम चुपके से आते हो, भगवान् से मिलन की तङफ में, बहाया हुआ

एक भक्त अपने अराध्य को जब वन्दन कर रहा है तब अपने आप को परमेशवर स्वामी भगवान् नाथ के योग्य